indian government create job opportunity in 12 countries for skilled workers
कोरोना संकट से बढ़ी बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकार ने विदेशों में कुशल कर्मियों को काम दिलाने का प्लान बनाया है। केंद्र ने हाल ही में जापान से कुशल कर्मी की आपूर्ति को लेकर एक समझौता ज्ञापन किया है। ठीक इसी तर्ज पर यूरोप और एशिया के करीब 12 देशों को जिनसे भारत के संबंध अच्छे हैं उन्हें स्वास्थ्य कर्मी के अलावा दूसरे क्षेत्र के कुशल कर्मियों की आपूर्ति करने की तैयारी है।
इसकी जानकारी देते हुए कौशल विकास मंत्रालय और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के अधिकारियों ने कहा कि भारत से जाने वाले कर्मी स्थायी प्रवासियों के रूप में नहीं बल्कि उन क्षेत्रों के कर्मचारियों के रूप में होंगे जहां अधिक मांग है। कौशल विकास और उद्यमिता सचिव, प्रवीण कुमार ने बताया कि हम अभी 12 देशों को मैनपावर आपूर्ति करने का लक्ष्य रख रहे हैं जिनसे हमारे अच्छे संबंध हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुशल पेशेवरों के लिए विदेशों में आसानी से काम दिलाने की सरकार की योजना न केवल भारत में विदेशी रेमिटेन्स को बढ़ावा देगा, बल्कि विदेश में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
स्वास्थ्य कर्मियों की जबरदस्त मांग
एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा कि कोरोना संकट के बाद से हमने यह अनुभव किया है कि विदेशों में भारतीय स्वास्थ्य कर्मियों की जबरदस्त मांग है। इसमें सिर्फ नर्स ही नहीं बल्कि दूसरे काम में लगे स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। हमने महसूस किया है कि इसी प्रकार, निर्माण, ऑटोमोबाइल विनिर्माण, आतिथ्य और औद्योगिक मशीनरी क्षेत्रों के लिए कुशल श्रमिकों को विभिन्न देशों में कुशल कर्मियों को निश्चित कार्यकाल के लिए आपूर्ति किया जा सकता है।
सऊदी अरब, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी से बातचीत
अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों की आपूर्ति को लेकर हम सऊदी अरब, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी से बातचीत कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 तक दुनियाभर में 7 करोड़ से अधिक लोग 65 साल से अधिक उम्र के हैं। इसमें अगले तीन दशक में 1.5 अरब लोग इस श्रेणी में और जुड़ जाएंगे। हम इस अवसर को भुनाने के लिए तैयारी कर रहे हैं। कौशल मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ ब्रिटने में अगले दो वर्षों में लगभग 42,000 नर्स, लगभग 40,000 कम्युनिटी हेल्थ वर्कर और 85,000 स्वास्थ्य पेशेवरों की जरूरत पड़ेगी। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, स्वीडन, ब्रिटेन और अमेरिका सहित नौ देशों में 2022 तक 300,000 से अधिक स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की मांग होगी।
जरूरत के अनुसार कोर्स में बदलाव किया जाएगा
अधिकारी ने बताया कि विदेशों में निकलने वाले जॉब के अनुसार हम कोर्स में बदलाव, युवाओं को ट्रेनिंग देने, वोकेशनल कोर्स आदि कराने पर विचार कर रहे हैं। देखा गया है कि ब्रिटेन में निकले जॉब में बहुत सारे उम्मीदवार भाषा की परिक्षा (अंग्रेजी लिखने और बोलने) में असफल हो गए। इसको देखते हुए आने वाले समय में बदलाव किया जाएगा
जापान के साथ 14 क्षेत्रों में करार
जापान के साथ कुल 14 क्षेत्रों में कुशल भारतीय श्रमिकों को जॉब देने के समझौता किया गया है। इसमे मुख्य रूप से नर्सिंग केयर, बिल्डिंग क्लीनिंग मैनेजमेंट, मशीन पार्ट्स एंड टूलिंग इंडस्ट्रीज, इंडस्ट्रियल मशीनरी इंडस्ट्री, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन इंडस्ट्रीज, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री, शिपबिल्डिंग एंड शिप मशीनरी इंडस्ट्री, ऑटोमोबील रिपेयर एंड मेंटेनेंस, एविएशन इंडस्ट्री, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, एग्रीकल्चर, फिशरीज एंड एक्वाकल्चर, फूड एंड बेवरेजेस और फूड सर्विसेज सेक्टर।
इन 14 सेक्टर में जॉब देने को लेकर किया गया करार
जापान के साथ कुल 14 क्षेत्रों में कुशल भारतीय श्रमिकों को जॉब देने के समझौता किया गया है। इसमें मुख्य रूप से नर्सिंग केयर, बिल्डिंग क्लीनिंग मैनेजमेंट, मशीन पार्ट्स एंड टूलिंग इंडस्ट्रीज, इंडस्ट्रियल मशीनरी इंडस्ट्री, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन इंडस्ट्रीज, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री, शिपबिल्डिंग एंड शिप मशीनरी इंडस्ट्री, ऑटोमोबील रिपेअर एंड मेंटेनेंस, एविएशन इंडस्ट्री, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, एग्रीकल्चर, फिशरीज एंड एक्वाकल्चर, फूड एंड बेवरेजेस और फूड सर्विसेज सेक्टर।
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