Sakat Chauth 2021 kab hai at january 31
Sakat Chauth 2021: माघ मास की चतुर्थी तिथि को संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Chaturthi), सकट चौथ (Sakat Chauth 2021) कहा जाता है. इस दिन महिलायें व्रत रखती हैं. इस दिन माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए व्रत रखती हैं. इस बार संकष्टी चतुर्थी 31 जनवरी (Sankashti Chaturthi 31 January) को है. इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) को भोग लगाया जाता है. इस दिन तिल के लड्डू भी प्रसाद में बनाए जाते हैं.
Sakat Chauth 2021 इस दिन श्रीगणेश की आराधना करने से कष्टों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तिल चतुर्थी के दिन गरीबों को तिल गुड़ के लड्डू , कम्बल या कपडे आदि का दान करना चाहिए, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
सकट चौथ पूजा विधि Sakat Chauth puja bidhi
इस दिन माताएं गणेश जी की पूजा कर भगवान को भोग लगाकर कथा सुनती हैं. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही गणेश जी का व्रत संपन्न होता है. इस दिन कई जगह तिलकूट का पहाड़ बनाकर उसको भी काटे जाने की परंपरा है.
सकट चौथ के दिन गणेश जी के संकटमोचन का पाठ करना अच्छा माना जाता है. सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के साथ चंद्रदेव की पूजा भी की जाती है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. रात में चंद्रमा देखने पर अर्घ्य देती हैं और पूजा करती हैं. इस दौरान छोटा सा हवन कुंड तैयार किया जाता है. हवन कुंड की परिक्रमा करके महिलाएं चंद्रदेव के दर्शन करती हैं और अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं.
विशेष पूजा-
गणेश मंत्र का जप करते हुए 21 दूर्वा गणेश जी को अर्पित करनी चाहिए.
मंत्र- ॐ गं गणपतये नमः” साथ ही भगवान गणेश को बूंदी के लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए. तिल तथा गुड़ से बने हुए लड्डू तथा ईख, शकरकंद, गुड़ और घी अर्पित करने की महिमा है.
गणेश जी के 12 नाम का जाप
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन.
सकट चौथ व्रत तिथि और शुभ मुहुर्त (Sakat Chauth 2021Date And Time)
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 31, 2021 को शाम 08 बजकर 24 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 01, 2021 को शाम 06 बजकर 24 मिनट तक
सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – शाम 08 बजकर 40 मिनट
इस समय हर कोई कोरोना वायरस की महामारी से परेशान है, ऐसे में अगर आप भी जीवन में कष्टों का अनुभव कर रहे हैं, तो उनके लिए यह दिन बेहद मायने रखता है. इस दिन चतुर्थी व्रत करके दान-दक्षिणा देने से श्री गणेश समस्त कामनाओं की पूर्ति कर जन्म-मृत्यु के कष्टों का नाश करके दिव्य लोक में स्थान दे देते हैं. गणेशजी आदिकाल से पूजित रहे हैं. वेदों में, पुराणों में (शिवपुराण, स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि) में गणेशजी के संबंध में अनेक लीला कथाएं तथा पूजा-पद्धतियां मिलती हैं. उनके नाम से गणेश पुराण भी सर्वसुलभ है. देवता कोई भी हो, पूजा कोई भी हो, गणेश पूजन के बगैर सब निरर्थक है.
सकट चौथ व्रत कैसे करें Sakat Chauth kaise manaye
1.चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2.इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें.
3.श्री गणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें.
4.तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें.
5.फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्री गणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें.
6.गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्री गणेश की आराधना करें.
7.श्री गणेश को फल, तिल से बनी वस्तुओं, लड्डू तथा मोदक का भोग लगाएं और प्रार्थना करें कि ‘ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है. नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है.’
8.सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं.
9.चतुर्थी के दिन व्रत-उपवास रख कर चंद्र दर्शन करके गणेश पूजन करें.
10.तत्पश्चात श्री गणेश की आरती करें.
11.विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र ‘ॐ गणेशाय नम:’ अथवा ‘ॐ गं गणपतये नम: का 108 बार अथवा एक माला करें
Sakat Chauth me kis bhagban ka puja hota hai
भगवान गणेश (Lord Ganesh) को
Sakat Chauth me Ganesh jee ka bhog kaise lagaye
इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) को भोग लगाया जाता है. इस दिन तिल के लड्डू भी प्रसाद में बनाए जाते हैं
संकष्टी चतुर्थी की कथा Sakat Chauth ki katha , Sakat Chauth ki story
चतुर्थी की कथा का शास्त्रों में कई जगब वर्णन मिलता है। पौराणिक कथा है कि एक बार देवताओं पर विपत्ति आ गई। सभी देवता भगवान शिव से मदद मांगे के लिए पहुंचे तो उस समय महादेव के साथ कार्तिकेय और गणेश जी भी विराजित थे।
देवताओं की समस्या को सुनकर भोलेनाथ से अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय से पूछा कि तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्टों को दूर करना चाहेगा। तब शिवजी के दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश दोनों ने स्वयं को इस कार्य के लिए काबिल बताया।
तब भगवान भोलेनाथ ने अपने दोनों पुत्रों की परीक्षा लेने के लिए कहा कि तुम दोनों में से जो कोई भी पहले धरती की परिक्रमा कर लेगा, वही देवताओं की पहले मदद करेगा। भगवान शिव की बात सुनकर कार्तिकेय तुरंत अपने वाहन मयूर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए
लेकिन भगवान गणेश चिंतामग्न थे कि अपने छोटे से वाहन चूहे से धरती की परिक्रमा कैसे करें, तभी श्रीगणेश के मन में एक विचार आया और उन्होंने अपने माता-पिता महादेव और पार्वती की 7 परिक्रमा कर ली और चरणों में बैठ गए।
कार्तिकेय जब पृथ्वी की परिक्रमा करके लौट आए और स्वयं को विजेता घोषित करने लगे। तब भोलेनाथ ने श्रीगणेश से परिक्रमा पर न जाने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक बसे हुए हैं।
महादेव श्रीगणेश के उत्तर से बेहद खुश हो गए और उनको देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दे दी और कहा कि जो भक्त चतुर्थी तिथि के दिन गणेश का पूजन करेगा और रात्रि में अर्घ्य देगा, उसको तीनों तरह के दुखों से मुक्ति मिल जाएगी।
इस दिन श्रीगणेश की आराधना करने से कष्टों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तिल चतुर्थी के दिन गरीबों को तिल गुड़ के लड्डू , कम्बल या कपडे आदि का दान करना चाहिए, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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