महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?पढ़ें महाशिवरात्रि की पवित्र, प्राचीन और प्रामणिक कथा

maha shivratri kyu manaya jata hai
Mahashivratri 2023:  Maha Shivaratri is a bigest Hindu festival celebrated annually in honour of the god Shiva(Bholebaba). हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा-अराधना का विशेष महत्व है. मान्यता है भगवान शिव बहुत ही दयालु और कृपालु भगवान हैं. वे मात्र एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं

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Happy Mahashivratri 2022 in hindi: महाशिवरात्रि, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है।शिवरात्रि तो हर महीने में आती है लेकिन महाशिवरात्रि सालभर में एकबार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह पर्व  2022  मार्च 1 को है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है।

maha shivratri 2023 date

Saturday,Feb 18

maha shivratri 2023 kab hai

Year Date Holiday
2022 1 Mar Maha Shivaratri
2023 18 Feb Maha Shivaratri
2024 8 Mar Maha Shivaratri

Mahashivratri Wikipedia in Hindi

शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, बेर और भांग चढ़ाने से भक्‍त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे महादेव की विशेष कृपा मिलती है मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की घटना क्या है।

maha shivratri kyu manaya jata hai Mahashivratri Wikipedia in Hindi
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पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी-Maha Shivaratri Story in Hindi

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका न तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।

64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग

एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। यह जो मूर्ति है उसका नाम लिंगोभव, यानी जो लिंग से प्रकट हुए थे। ऐसा लिंग जिसकी न तो आदि था और न ही अंत।

शिव और शक्ति का हुआ था मिलन

महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।

Maha shivratri kyu manaya jata hai क्‍यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?

अब सवाल उठता है कि आखिर महाशिवरात्रि क्‍यों मनाई जाती(Mahashivratri Tyohar kyon manaya jata Hai)? दरअसल, महाशिवरात्रि मनाए जाने को लेकर कई मान्‍यताएं प्रचलित हैं. शिवरात्रि मनाए जाने को लेकर तीन मान्‍यताएं जो सर्वाधिक प्रचलित हैं वो इस प्रकार हैं:

  • – एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे. मान्‍यता है कि शिव जी अग्नि ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत. कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्‍णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे.
  • – एक अन्‍य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानकारी उपलब्‍ध. इन्‍हें 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम से जाना जाता है.
  • – तीसरी मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था.

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को क्यों कहते हैं महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि के पावन दिन के बारे में कहा जाता है कि यूं तो साल में हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि आती है जिसे मास शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी और गुजरात, महाराष्ट्र के पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी सबसे श्रेष्ठ है इसलिए इसे शिवरात्रि नहीं महाशिवरात्रि कहते हैं। इसकी वजह यह है कि इसी दिन प्रकृति को धारण करने वाली देवी पार्वती और पुरुष रूपी महादेव का गठबंधन यानी विवाह हुआ था।

महाशिवरात्रि पर रात का क्यों है महत्व

हिंदू धर्म में रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त को उत्तम माना गया है इसी कारण भगवान शिव का विवाह भी देवी पार्वती से रात्रि के समय ही हुआ था। इसलिए उत्तर भारती पंचांग के अनुसार जिस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि मध्य रात्रि यानी निशीथ काल में होती है उसी दिन को महाशिवरात्रि का दिन माना जाता है।
इस वर्ष 11 मार्च को दिन में 2 बजकर 40 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगेगी जो मध्यरात्रि में भी रहेगी और 12 तारीख को दिन में 3 बजकर 3 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए 12 तारीख को उदय कालीन चतुर्थी होने पर भी 11 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।

महाशिवरात्रि पर शिवयोग कब तक

1 मार्च महाशिवरात्रि के दिन का पंचांग देखने से मालूम होता है कि इस दिन का आरंभ शिवयोग में होता है जिसे शिव आराधना के लिए शुभ माना गया है। शिवयोग में गुरुमंत्र और पूजन का संकल्प लेना भी शुभ कहा गया है। लेकिन शिवयोग 1 मार्च को अधिक समय तक नहीं रहेगा सुबह 9 बजकर 24 मिनट पर ही यह समाप्त हो जाएगा और सिद्ध योग आरंभ हो जाएगा।

महाशिवरात्रि पूजन का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2022 Shubh Muhurat)

-महाशिवरात्रि के पहले प्रहर की पूजा- 1 मार्च, 2022 शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट तक है.

– इस दिन दूसरे प्रहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट तक होगी.

– तीसरे प्रहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3 :39 मिनट तक है.

– चौथे प्रहर की पूजा- 2 मार्च सुबह 3:39 मिनट से 6:45 मिनट तक है.

– पारण समय- 2 मार्च, बुधवार 6:45 मिनट के बाद.

Shivaratri story in Hindi (शिवरात्रि कथा)

‘महाशिवरात्रि’ के विषय में भिन्न – भिन्न मत हैं, कुछ विद्वानों का मत है कि आज के ही दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि आज के ही दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय समुद्र से निकला था | ज्ञात है कि यह समुद्रमंथन देवताओं और असुरों ने अमृत-प्राप्ति के लिए किया था |एक शिकारी की कथा भी इस त्यौहार के साथ जुड़ी हुई है कि कैसे उसके अनजाने में की गई पूजा से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने उस पर अपनी असीम कृपा की थी | यह कथा पौराणिक “शिव पुराण” में भी संकलित है …

प्राचीन काल में, किसी जंगल में एक गुरुद्रुह नाम का एक शिकारी रहता था जो जंगली जानवरों का शिकार करता तथा अपने परिवार का भरण-पोषण किया करता था |

एक बार शिव-रात्रि के दिन जब वह शिकार के लिए निकला , पर संयोगवश पूरे दिन खोजने के बाद भी उसे कोई शिकार न मिला, उसके बच्चों, पत्नी एवं माता-पिता को भूखा रहना पड़ेगा इस बात से वह चिंतित हो गया , सूर्यास्त होने पर वह एक जलाशय के समीप गया और वहां एक घाट के किनारे एक पेड़ पर थोड़ा सा जल पीने के लिए लेकर, चढ़ गया क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए यहाँ ज़रूर आयेगा |वह पेड़ ‘बेल-पत्र’ का था और उसी पेड़ के नीचे शिवलिंग भी था जो सूखे बेलपत्रों से ढके होने के कारण दिखाई नहीं दे रहा था |

रात का पहला प्रहर बीतने से पहले एक हिरणी वहां पर पानी पीने के लिए आई |उसे देखते ही शिकारी ने अपने धनुष पर बाण साधा |ऐसा करने में, उसके हाथ के धक्के से कुछ पत्ते एवं जल की कुछ बूंदे नीचे बने शिवलिंग पर गिरीं और अनजाने में ही शिकारी की पहले प्रहर की पूजा हो गयी |हिरणी ने जब पत्तों की खड़खड़ाहट सुनी, तो घबरा कर ऊपर की ओर देखा और भयभीत हो कर, शिकारी से , कांपते हुए स्वर में बोली- ‘मुझे मत मारो |’

शिकारी ने कहा कि वह और उसका परिवार भूखा है इसलिए वह उसे नहीं छोड़ सकता |हिरणी ने वादा किया कि वह अपने बच्चों को अपने स्वामी को सौंप कर लौट आयेगी| तब वह उसका शिकार कर ले |शिकारी को उसकी बात का विश्वास नहीं हो रहा था |

उसने फिर से शिकारी को यह कहते हुए अपनी बात का भरोसा करवाया कि जैसे सत्य पर ही धरती टिकी है; समुद्र मर्यादा में रहता है और झरनों से जल-धाराएँ गिरा करती हैं वैसे ही वह भी सत्य बोल रही है | क्रूर होने के बावजूद भी, शिकारी को उस पर दया आ गयी और उसने ‘जल्दी लौटना’ कहकर , उस हिरनी को जाने दिया |

थोड़ी ही देर बाद एक और हिरनी वहां पानी पीने आई, शिकारी सावधान हो गया, तीर सांधने लगा और ऐसा करते हुए, उसके हाथ के धक्के से फिर पहले की ही तरह थोडा जल और कुछ बेलपत्र नीचे शिवलिंग पर जा गिरे और अनायास ही शिकारी की दूसरे प्रहर की पूजा भी हो गयी |

इस हिरनी ने भी भयभीत हो कर, शिकारी से जीवनदान की याचना की लेकिन उसके अस्वीकार कर देने पर ,हिरनी ने उसे लौट आने का वचन, यह कहते हुए दिया कि उसे ज्ञात है कि जो वचन दे कर पलट जाता है ,उसका अपने जीवन में संचित पुण्य नष्ट हो जाया करता है | उस शिकारी ने पहले की तरह, इस हिरनी के वचन का भी भरोसा कर उसे जाने दिया |

अब तो वह इसी चिंता से व्याकुल हो रहा था कि उन में से शायद ही कोई हिरनी लौट के आये और अब उसके परिवार का क्या होगा |इतने में ही उसने जल की ओर आते हुए एक हिरण को देखा, उसे देखकर शिकारी बड़ा प्रसन्न हुआ ,अब फिर धनुष पर बाण चढाने से उसकी तीसरे प्रहर की पूजा भी स्वतः ही संपन्न हो गयी लेकिन पत्तों के गिरने की आवाज़ से वह हिरन सावधान हो गया |उसने शिकारी को देखा और पूछा –“ तुम क्या करना चाहते हो ?” वह बोला-“अपने कुटुंब को भोजन देने के लिए तुम्हारा वध करूंगा |”

वह मृग प्रसन्न हो कर कहने लगा – “मैं धन्य हूँ कि मेरा यह शरीर किसी के काम आएगा, परोपकार से मेरा जीवन सफल हो जायेगा पर कृपया कर अभी मुझे जाने दो ताकि मैं अपने बच्चों को उनकी माता के हाथ में सौंप कर और उन सबको धीरज बंधा कर यहाँ लौट आऊं |”

शिकारी का ह्रदय, उसके पापपुंज नष्ट हो जाने से अब तक शुद्ध हो गया था इसलिए वह विनयपूर्वक बोला –‘ जो-जो यहाँ आये ,सभी बातें बनाकर चले गये और अभी तक नहीं लौटे ,यदि तुम भी झूठ बोलकर चले जाओगे ,तो मेरे परिजनों का क्या होगा ?” अब हिरन ने यह कहते हुए उसे अपने सत्य बोलने का भरोसा दिलवाया कि यदि वह लौटकर न आये; तो उसे वह पाप लगे जो उसे लगा करता है जो सामर्थ्य रहते हुए भी दूसरे का उपकार नहीं करता | शिकारी ने उसे भी यह कहकर जाने दिया कि ‘शीघ्र लौट आना |’

रात्रि का अंतिम प्रहर शुरू होते ही उस शिकारी के हर्ष की सीमा न थी क्योंकि उसने उन सब हिरन-हिरनियों को अपने बच्चों सहित एकसाथ आते देख लिया था |उन्हें देखते ही उसने अपने धनुष पर बाण रखा और पहले की ही तरह उसकी चौथे प्रहर की भी शिव-पूजा संपन्न हो गयी |

अब उस शिकारी के शिव कृपा से सभी पाप भस्म हो गये इसलिए वह सोचने लगा-‘ओह, ये पशु धन्य हैं जो ज्ञानहीन हो कर भी अपने शरीर से परोपकार करना चाहते हैं लेकिन धिक्कार है मेरे जीवन को कि मैं अनेक प्रकार के कुकृत्यों से अपने परिवार का पालन करता रहा |’ अब उसने अपना बाण रोक लिया तथा मृगों से कहा की वे सब धन्य है तथा उन्हें वापिस जाने दिया|उसके ऐसा करने पर भगवान् शंकर ने प्रसन्न हो कर तत्काल उसे अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन करवाया तथा उसे सुख-समृद्धि का वरदान देकर “गुह’’ नाम प्रदान किया |

मित्रों, यही वह गुह था जिसके साथ भगवान् श्री राम ने मित्रता की थी |

शिव जी जटाओं में गंगाजी को धारण करने वाले, सिर पर चंद्रमा को सजाने वाले,मस्तक पर त्रिपुंड तथा तीसरे नेत्र वाले ,कंठ में कालपाश [नागराज] तथा रुद्रा- क्षमाला से सुशोभित , हाथ में डमरू और त्रिशूल है जिनके और भक्तगण बड़ी श्रद्दा से जिन्हें शिवशंकर, शंकर, भोलेनाथ, महादेव, भगवान् आशुतोष, उमापति, गौरीशंकर, सोमेश्वर, महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, नीलकंठ, त्रिपुरारि, सदाशिव तथा अन्य सहस्त्रों नामों से संबोधित कर उनकी पूजा-अर्चना किया करते हैं —– ऐसे भगवान् शिव एवं शिवा हम सबके चिंतन को सदा-सदैव सकारात्मक बनायें एवं सबकी मनोकामनाएं पूरी करें |

भोलेनाथ को महादेव कहा जाता है –

शिवजी को महादेव क्यों कहा जाता है? इसका जवाब शिव पुराण में मिलता है। कहा जाता है कि शिव ही आदि और अनंत है। इस सृष्टि के निर्माण से पहले भी शिव जी है और इस सृष्टि के ख़त्म हो जाने के बाद भी वे ही रहेंगे। इसका मतलब यही है कि इस सृष्टि पर जो भी है वो शिव ही है। हिन्दू धर्म के अनुसार त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश यह तीन मुख्य देवता है। और यह त्रिदेव एक ही माने जाते है।

वेद-पुराण के अनुसार शिवजी से ही भगवान विष्णु की उत्पत्ति हुई है और भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए है। तत्पश्चात भगवान शिव की आज्ञानुसार ही ब्रह्मा जी ने इस सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण किया है और भगवान विष्णु इस ब्रह्मांड का पालन पोषण करते आये है।

कहा जाता है कि इन त्रिदेव मे से महेश अर्थात शिव ही कलयुग के बाद इस सृष्टि का संहार करेंगे, ऐसा वेद और पुराणों में उल्लेखित है। अतः शिव जी ही महाशक्तिशाली है और संपूर्ण ब्रह्मांड उन्ही के इशारे मात्र से चल रहा है।

इसलिए भोलेनाथ को महादेव कहा जाता है.

Maha Shivratri 2022 Wishes in hindi: महाशिवरात्रि पर दोस्‍तों को हिंदी में भेजें ये मैसेज, Quotes और GIFs, कहें जय भोलेनाथ

lord shiva maha shivratri quotes in hindi

ॐ में ही आस्था
ॐ में ही विश्वास
ॐ में ही शक्ति
ॐ में ही मेरी श्वास
ॐ नम: शिवाय!
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् .
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्..
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 2022

शिव की महिमा अपरंपार;
शिव हैं करते सबका उद्दार;
कृपा भोले की सब पर सदा बनी रहे;
जीवन में खुशियाँ को खजाने भरे रहे।
Happy Maha Shivratri 2022

महाशिवरात्रि के इस पर्व पर भगवान शिव और मां आदिशक्ति की
कृपा आप पर बनी रहे. महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं.
Happy Maha Shivratri 2022

कण-कण में शिव हैं, हर जगह में शिव हैं;
वर्तमान भी शिव हैं और भविष्य काल भी शिव हैं;
नमो नमो: आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
Happy Maha Shivratri 2022

शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
अंतकाल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ
भोले शंकर की पूजा करो, ध्यान चरणों में इनके धरो
हर हर महादेश शिव शंभू.
Happy Maha Shivratri 2022

ना कोई चिंता, ना कोई भय;
जब साथ में हों डमरू वाले, त्रिशूल धारी, त्रिनेत्र, नीलकंठ वाले भोले भंडारी.
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं!
Happy Maha Shivratri 2022

बम भोले डमरू वाले शिव का प्यारा नाम है;
भक्तो पे जो अपना प्यार दिखाता, ऐसा हरी का प्यारा नाम है;
शिव जी की जिसने दिल से है की पूजा;
शंकर भगवान ने उसका सँवारा काम है.
Happy Maha Shivratri 2022

शिव की महिमा होती है अपरंपार,
जो सभी भक्तों का करती है बेड़ा पार;
चलो आओ जुड़ बैठे शिव के चरणों में;
मिल कर बाँट लें हम भोले का यह प्यार
Happy Maha Shivratri 2022

शिव की ज्योति से नूर मिलता है, सब के दिलों को सुरूर मिलता है;
जो भी जाता है भोले के द्वार, कुछ न कुछ ज़रूर मिलता है।
Happy Maha Shivratri 2022

हर हर महादेव बोले जो हर जन;
उसे मिले सुख समृधि और धन।
Happy Maha Shivratri 2022

नंदीगण नतमस्तक सम्मुख, नीलकंठ पर शोभित विषधर;
मूषक संग गजानन बैठे, कार्तिकेय संग मोर खड़े..
सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर, सुंदरता चहुंओर भरे,
अंतरमन से तुझे पुकारूं हर हर हर महादेव हरे..
Happy Maha Shivratri 2022

बाबा ने जिस पर भी डाली छाया
रातो रात उसकी किस्मत की पलट गई छाया
वो सब मिला उसे बिन मांगे ही
जो कभी किसी ने ना पाया
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 2022

यह कैसी घटा छाई है
हवा में नई सुर्खी आई है
फैली है जो सुगंध हवा में
जरुर महादेव ने चिलम लगाई है
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं 2022

शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
अंतकाल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ
भोले शंकर की पूजा करो, ध्यान चरणों में इनके धरो
हर हर महादेश शिव शंभू.
Happy Maha Shivratri 2022

भक्ति शिव की करें ताकि शिव शक्ति मिले,
शिवरात्रि के शुभ अवसर पर
आपके जीवन को एक नई अच्छी शुरूआत मिले..
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं 2022

भोले की महिमा है अपरम्पार
करते हैं अपने भक्तों का उद्धार
शिव की दया आप पर बनी रहे
और आपके जीवन में खुशियां भरी रहें
Happy Maha Shivratri 2022

जिस समस्या का ना कोई उपाय…..
उसका हल ॐ_नमः_शिवाय…..
महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई 2022

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