Chhatrapati Shivaji Maharaj biography in hindi
छत्रपति शिवाजी महाराज परिचय
छत्रपति शिवाजी महाराज निर्विवाद रूप से भारत के सबसे महान राजाओं में से एक हैं. उनकी युद्ध प्रणालियाँ आज भी आधुनिक युग में अपनायीं जातीं हैं. उन्होंने अकेले दम पर मुग़ल सल्तनत को चुनौती दी थी.
भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं। बहुत से लोग इन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन् 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में हुआ। कुछ लोग 1627 में उनका जन्म बताते हैं। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jivan Parichay
नाम: | शिवाजी भोंसले |
जन्म तिथि Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2021 |
19 फरवरी, 1630 या अप्रैल 1627 |
जन्मस्थान: | शिवनेरी किला, पुणे जिला, महाराष्ट्र |
पिता: | शाहजी भोंसले |
माता: | जीजाबाई |
शासनकाल: | 1674–1680 |
जीवनसाथी: | साईबाई, सोयाराबाई, पुतलाबाई, सकवरबाई, लक्ष्मीबाई, काशीबाई |
बच्चे: | संभाजी, राजाराम, सखुबाई निम्बालकर, रणुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक, राजकुमारबाई शिर्के |
धर्म: | हिंदू धर्म |
मृत्यु: | 3 अप्रैल, 1680 |
शासक: | रायगढ़ किला, महाराष्ट्र |
उत्तराधिकारी: | संभाजी भोंसले |
17वीं शताब्दी की शुरुआत में नए योद्धा वर्ग मराठों का उदय हुआ, जब पूना जिले के भोंसले परिवार को सैन्य के साथ-साथ अहमदनगर साम्राज्य का राजनीतिक लाभ मिला था. भोंसले ने अपनी सेनाओं में बड़ी संख्या में मराठा सरदारों और सैनिकों की भर्ती की थी जिसके कारण उनकी सेना में बहुत अच्छे लड़ाके सैनिक हो गये थे.
कोंडाना किले की विजय (Conquest of Kondana fort): यह किला नीलकंठ राव के नियंत्रण में था. इसको जीतने के लिए मराठा शासक शिवाजी के कमांडर तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के किला रक्षक उदयभान राठौड़ के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध में तानाजी मालुसरे की मौत हो गयी थी लेकिन यह मराठा यह किला जीतने में कामयाब रहे थे. इन्ही तानाजी मालसुरे के ऊपर एक फिल्म बनी है जो कि सुपरहिट हुई है.
शिवाजी का राज्याभिषेक: 1674 ई. में, शिवाजी ने खुद को मराठा साम्राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित किया और उन्हें रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी के रूप में ताज पहनाया गया था. उनका राज्याभिषेक मुगल सल्तनत के लिए चुनौती बन गया था.
राज्याभिषेक के बाद, उन्हें हैडवा धर्मोधरका ’(हिंदू धर्म के रक्षक) का खिताब मिला था. यह ताजपोशी लोगों को भू-राजस्व इकट्ठा करने और कर लगाने का वैध अधिकार देती है.
शिवाजी का प्रशासन (Shivaji’s Administration)
शिवाजी का प्रशासन काफी हद तक डेक्कन प्रशासनिक प्रथाओं से प्रभावित था. उन्होंने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया जिन्हें ‘अस्तप्रधान’ कहा गया था, जो उन्हें प्रशासनिक मामलों में सहायता प्रदान करते थे.उनके शासन में अन्य पद थे;
1. पेशवा: सबसे महत्वपूर्ण मंत्री थे जो वित्त और सामान्य प्रशासन की देखभाल करते थे.
2. सेनापति: ये मराठा प्रमुखों में से एक थे. यह काफी सम्मानीय पद था.
3. मजूमदार (Majumdar): ये अकाउंटेंट होते थे.
4. सुरनवीस या चिटनिस (Surnavis or chitnis): अपने पत्राचार से राजा की सहायता करते थे.
5. दबीर (Dabir): समारोहों के व्यवस्थापक थे और विदेशी मामलों से निपटने में राजा की मदद करते थे.
6. न्यायधीश और पंडितराव: न्याय और धार्मिक अनुदान के प्रभारी थे.
इस प्रकार शिवाजी की जीवनी पढने से स्पष्ट है कि वे एक न केवल एक कुशल सेनापति, एक कुशल रणनीतिकार और एक चतुर कूटनीतिज्ञ था बल्कि एक कट्टर देशभक्त भी थे. उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए औरंगजेब जैसे बड़े मुग़ल शासक से भी दुश्मनी की थी.
मुस्लिम विरोधी नहीं थे शिवाजी : शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता रहा है, पर यह सत्य इसलिए नहीं कि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी थे ही, अनेक मुस्लिम सरदार और सूबेदारों जैसे लोग भी थे। वास्तव में शिवाजी का सारा संघर्ष उस कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध था, जिसे औरंगजेब जैसे शासकों और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा था।
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